Not known Facts About Shodashi

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The Matrikas, or even the letters from the Sanskrit alphabet, are considered the subtle type of the Goddess, with Each individual letter Keeping divine electrical power. When chanted, these letters Mix to form the Mantra, developing a spiritual resonance that aligns the devotee Together with the cosmic Strength of Tripura Sundari.

इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?

A novel function in the temple is always that souls from any faith can and do give puja to Sri Maa. Uniquely, the temple management comprises a board of devotees from different religions and cultures.

The underground cavern features a dome high earlier mentioned, and barely visible. Voices echo wonderfully off the ancient stone in the walls. Devi sits inside of a pool of holy spring drinking water having a Cover excessive. A pujari guides devotees via the process of spending homage and receiving darshan at this most sacred of tantric peethams.

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।

She would be the in the shape of Tri electricity of evolution, grooming and destruction. Total universe is transforming under her electric power and destroys in cataclysm and again get rebirth (Shodashi Mahavidya). By accomplishment of her I bought this spot and hence adoration of her is the greatest a single.

ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం more info సౌ: ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం 

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥७॥

शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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